आज सुबह ही सामने अग्रवाल साहब की पत्नी का निधन हुआ है . सब लोग शोक मगन थे. इधर तिवारी जे अपनी बिटिया की शादी तय न हो पाने के कारण काफी दुखी थे. आज ही शादी देखने जाना था. और सामने ये हादसा..इसी बात को लेकर तिवारी जे काफी परेसान थे.तिवारी जी खिड़की से बराबर सामने की खबर ले रहे थे.वसे सुबह एक बार हो आये थे. कुछ सोचकर तिवारी जी मिटटी में जाने के लिए तयार होने लगे, सहसा पत्नी ने कहा, "सुबह को तो एक बार हो ही आये हो " और सुनो, जी" अपना कम ज्यदा ज़रूरी है". और सुना है इनका (मुर्दे का) मिलना काफी सुभ होता है.तिवारी जी आवाक से खड़े कभी खिड़की से बहार जाती अर्थी तो कभी पत्नी का मुह देख रहे थे.ज़रूरी काम उनकी समझ से बाहर था.
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Monday, February 28, 2011
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