आज हम अपनी मोह्बत को ..........
एक नया नाम देने जायेगे...
इस्क में इतने सुर्खुरू और दीवाने होगे पता न था....
दवा देगे हमें वो..या और बीमार कर जायेगे..
आज हम अपनी......
मोह्बत की रस्म आज हम...
कुछ एस तरह बया कर जायेगे ..
इन्तहां लेने के कोशिस करे जब वो...
अपने गमो का बवंडर उसी सय में पायेगे...
आज हम अपनी........
अवध-ऐ -शाम ने दिया हमें बस...
बेपनाह सोहरत और सुकून ....
हमने क्या खो दिया, अपने जिन्दी का यहाँ...
इतने ज़ल्दी वो ये ,केसे समझ पायेगे...
आज हम अपनी.....
हमने बड़ी खामोसी से दिया था....
एक हसीं सा नाम उस रब को ...
बदले में दे दे हमें कोई प्यारा सा नाम....
जिसे लेकर हम सुकू से...
इस रस्मे-ए-ज़हान से जायेगे.....
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