Wednesday, March 2, 2011

** नए पन्ने ......

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"बड़ी रंगीन तबीयत थी ,हमारी भी...
काश मेरे दिल में तू ऐसे समाया न होता ..
तेरी चौखट चूम कर जाता रहा हू, मै...
कहा नहीं भटकता रहा हू मै  दर बदर...
गर तुने ऐसे ठुकराया ना होता  ....
बड़ी रंगीन ...............
बड़ा ही सफेद पोस बना रहेता मै .... 
अगर ज़माने ने यु ठुकराया ना होता ....
मेरे ये ज़ख़्म कब के भर गए होते .....
ग़र तूने ऐसे ज़लाया न होता .....
बड़ी रंगीन ...............
अब तक तो सुकू से जीने न दिया तेरी यादो ने ... 
अब तक तो मर भी  गया  होता ...
गर पीछे मुड कर तू यू मुस्कुराया  ना होता.....
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Tuesday, March 1, 2011

''पुरानी किताबो में अभी भी पन्ने नए है....

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" रो रहा है,आज गुलाब लिपट कर मेरी कब्र से.. .. 
जो कभी उनकी गेसुओ के रोनक से लबरेज  था ...
क्या कहे अपनी दस्ताने मोहबत, पुराने ज़ख़्म उभर आते  है... 
सोचता था दुनिया हम जेसी ही है.....
पर उसकी हर सासों में फरेब था...
 पता थी  मुझे उसकी पुरानी हकीकत  ....
चहरे बदलने में माहिर था वो...
जनता था मेलेगी  नाकामयाबी   हमें ...
पर उसमे एक जादू अजीब था ....
मै भी हरता गया हर कदम पर उससे ..
केसे कहे किसी से वो ....
बेवफा  होकर भी खुशनसीब  था......
दिल भी कहेता गया कलम लिखती  गई. .....
मेरा भी ये केसा जूनून था..... 
मेरी कब्र पर आते  रहे रहे है वो हसकर ...
कहेते...ये आवारा भी  अजीब था.....
ज़नाजे पर मेरे ज़सन मानते रहे है ...
वो खुस है, बस इसका सुकून था......
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