Tuesday, January 25, 2011

आज खिचड़ी का त्यौहार है,
देखा है कई रंग-बिरंगी पतंगों  को
जो दिखा रही है अपना केतरब नीले गगन में
पर इक पतंग जो है मेरे खोवबो दिल में
वुड रही है मेरे अरमानो को लेकर .........
अपने कोमल पंखो से चुना चाहती है आकाश की..
बुलन्दियो को...
डर जाता हू  कही फट न जाये...
जोर से बहती है हवा कभी तो ..
दर्द  होने  लगते है अरमान..
पर जब तक नहीं पहुच पाती है..
वह अपनी उम्मीद के बुलन्दियो को ..
उड़ना ही है नसीब उसका .
आखिर वो पतंग ही तो है,
जो वुड  रही है मेरे अरमानो में ................
 





6 comments:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

अभिषेक मिश्र said...

अरमानों की पतंग के लिए शुभकामनाएं.

सदाबहार देव आनंद

Creative Manch said...

उड़ना ही है नसीब उसका .
आखिर वो पतंग ही तो है,
जो वुड रही है मेरे अरमानो में ....


bahut sundar
padhkar achha laga

aabhaar

Anonymous said...

बहुत सुंदर अम्बरीश जी - कम शब्दों में बड़ी बात

Sushil Bakliwal said...

सुन्दर प्रस्तुति, शुभकामनाएँ...
हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
http://najariya.blogspot.com/

संगीता पुरी said...

इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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