Tuesday, November 29, 2011

तम्मना,,,

"कभी आओ  तो मेरे नसीब पर मेहरबानी हो जाये .....
चली आओ तो वो अधूरी कहानी पूरी हो जाये .....
जिसे अधूरी छोड़ गई तुम जाने कहा .....
चली आओ तो बस वो पूरी हो जाये....
बड़ा बेबस कर दिया है समय ने इतना....
तुम चली आओ तो बस वो पूरी हो जाये....
चाहत तो मर चुकी है,मेरी...
बस मोहबत को सुकू हो जाये....
कभी आओ तो......
लहेरों से लड़ते लड़ते थक गया हू मै.......
तो आओ तो शायद किनारा मिल जाये....
तुम आओगी तो क्या मिलेगा तुम्हे यहाँ ....
बहुत जी लए हम  तुम्हारी यादो को लेकर....
चली आओ तो ये किराये का मक़ा खाली हो जाये....
कभी आओ तो......
जब आएगी तू ,धुल दूगा, तेरी  मांग को अपने अस्को..से मै ..
कम से कम तेरी मांग से बेवफा का दाग मिट जाये....
अब इसे न ठीक होगा तेरा आसिक .....
ले आना एक खंजर और उतार देना मेरे हलक में....
और बस तेरा ये आसिक जुर्मे इश्क में मसहूर हो जाये...
कभी आओ तो मेरे......
बस और नही तद्पौगा खुद को जिंदा रखकर मै .....
रहेगी गुजारिश जन्न्ते कब्रा से यही  ......
तेरे हर दिन गुजरेगे  होली के तरह और......
तेरी हर रात दीवाली हो जाये......
कभी  आओ तो........ मेहरबानी हो जाये.......


बस ऐसे ह़ी........

पैदा हुआ हु एक गरीब के घर ....
मेरी माँ के पास दूध पिलाने के पैसे नहीं थे ...
फटे चितरे से कपड़ो में धुल में खेलता था में .....
 कहेती थी मेरी माँ राज  कुमार सा लगता हु....

बस ऐसे ह़ी........

टूटे अरमानो को जोड़ने की कोसिस करते है वो ...
मेरे अरमानो की कसिस उन्हें जुड़ने  न देगी........
कास उन्हें हो जाती एक खबर तो.....
बिखरने  का दर्द मेरी  फिकरत न होती .......

Sunday, April 3, 2011

पहेलू..........जिंदगी का.....

वो अकेला आज फिर क्या खाया होगा....
आज फिर किसी गली में सोया होगा ......
किसी भीड़ में या किसी बस स्टॉप पर ...
जाने कितने लोगो से ठुकराया होगा...
बहुत भीड़ है इस दुनिया में लोगो की .....
लेलिन वह आपके को अकेला पाया होगा....
लोगो को देख कर वह अपने पर सकुचाया होगा....
सायद खुदा है उसके साथ यही सोच कर.
थोडा सा सहारा पाया होगा..
.खुद को याद रखने में बहुत ही कस्ट होता है..
.इसी  लिए  खुद को भुलाया होगा....
कल कुछ लोग ले जा रहे थे उसे अस्पताल .....
मौत से निकल कर शायद वो कितना पछताया होगा....

Wednesday, March 2, 2011

** नए पन्ने ......

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"बड़ी रंगीन तबीयत थी ,हमारी भी...
काश मेरे दिल में तू ऐसे समाया न होता ..
तेरी चौखट चूम कर जाता रहा हू, मै...
कहा नहीं भटकता रहा हू मै  दर बदर...
गर तुने ऐसे ठुकराया ना होता  ....
बड़ी रंगीन ...............
बड़ा ही सफेद पोस बना रहेता मै .... 
अगर ज़माने ने यु ठुकराया ना होता ....
मेरे ये ज़ख़्म कब के भर गए होते .....
ग़र तूने ऐसे ज़लाया न होता .....
बड़ी रंगीन ...............
अब तक तो सुकू से जीने न दिया तेरी यादो ने ... 
अब तक तो मर भी  गया  होता ...
गर पीछे मुड कर तू यू मुस्कुराया  ना होता.....
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Tuesday, March 1, 2011

''पुरानी किताबो में अभी भी पन्ने नए है....

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" रो रहा है,आज गुलाब लिपट कर मेरी कब्र से.. .. 
जो कभी उनकी गेसुओ के रोनक से लबरेज  था ...
क्या कहे अपनी दस्ताने मोहबत, पुराने ज़ख़्म उभर आते  है... 
सोचता था दुनिया हम जेसी ही है.....
पर उसकी हर सासों में फरेब था...
 पता थी  मुझे उसकी पुरानी हकीकत  ....
चहरे बदलने में माहिर था वो...
जनता था मेलेगी  नाकामयाबी   हमें ...
पर उसमे एक जादू अजीब था ....
मै भी हरता गया हर कदम पर उससे ..
केसे कहे किसी से वो ....
बेवफा  होकर भी खुशनसीब  था......
दिल भी कहेता गया कलम लिखती  गई. .....
मेरा भी ये केसा जूनून था..... 
मेरी कब्र पर आते  रहे रहे है वो हसकर ...
कहेते...ये आवारा भी  अजीब था.....
ज़नाजे पर मेरे ज़सन मानते रहे है ...
वो खुस है, बस इसका सुकून था......
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Monday, February 28, 2011

"ज़रूरी काम"

आज सुबह  ही सामने अग्रवाल साहब की पत्नी का निधन हुआ है . सब लोग शोक मगन थे. इधर तिवारी जे अपनी बिटिया  की शादी  तय न हो पाने के कारण काफी दुखी  थे. आज ही शादी देखने जाना था. और सामने ये हादसा..इसी बात को लेकर तिवारी जे काफी परेसान थे.तिवारी जी  खिड़की से बराबर सामने की  खबर ले रहे  थे.वसे सुबह  एक बार हो आये थे. कुछ सोचकर तिवारी जी  मिटटी में जाने के लिए तयार होने लगे, सहसा पत्नी ने कहा, "सुबह  को तो एक बार हो ही आये हो " और सुनो, जी" अपना कम ज्यदा ज़रूरी है". और सुना है  इनका (मुर्दे का) मिलना  काफी सुभ होता है.तिवारी जी आवाक से खड़े कभी खिड़की से बहार जाती अर्थी तो कभी पत्नी का मुह देख रहे थे.ज़रूरी काम उनकी समझ से बाहर था.